|| अभगली हम ||

वर्षो सँ पिया उ
मिलन रातिक बाट
जोहैत छलौं हम !
अहाँ आबि एक दिन
हमरो मोनक आस
पूरा हेतै नितदिन !!
मारैत रहै आस परोसी
सब ताना, कैह क....
अभागली के
नसीब एकर केहन !
जे भरले लगनमें
बिपतिया
चलि गेलै छोड़ि,
कुलच्छनी के
कलशक
डेग छलै केहन !
अहाँक बिरह में
रोज कोना
जिबैत छलौं हम !
बिरहक आगि में कोना
जलैत छलौं हम
तड़पैत छलौं अहाँक
याद में
जेना पानि बिनु मछली
तड़पैत रहै !!
हरपल मरैत अछि !
अहिंक यादमें....
ई पगली, ई अभगली हम !!
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__✍ एस के मैथिल 
स्थान : जनकपुरधाम-१ सिता चौक, 
शिवपथ रोड, धनुषा (नेपाल)