|| परिचय ||

हम बादल केर बिछौना पर
सपनाक सिरमा साटि
अकाशक तरेगन सभके
लीला देख' बला मनुख

हम अपने कविताक पियास छी
हमर सभ अंग जा धरि
साहित्य केर रससँ नै मातत
ता धरि हमरा निन्न नै लागत ....
कारण हम साहित्य प्रेमी छी

हम अपने टुकड़ी-टुकड़ी भेल मोन
प्रेमक बिछोहमे फाटल हिया केर
अपन गजलक शेर सभसँ
पच्चरि ठोकबाक प्रयास मे रहै छी
गाछ, वृक्ष, हवा, पानि, नदी, नाला
गगनमे उड़ैत चिड़ै केर सँग
मोनक बात बतियाइ बला मनुख छी

हम अपने मोनक गुलाम छी
हम तोहर मोनक माली नइ बनि सकबौ ....
हम अपने कल्पनाक
सागरमे डुबल मलाह छी
तोरा समुन्द्र पार नै कऽ सकबौ
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