गज़ल ~ घुटि-घुटिक

हमरा लेल  बिरहक आगि  में किए जरैत रहब !
कहिया तक अहाँ एना घुटि-घुटिक मरैत रहब !!

आकाशक   तारा   बनि जाएब  एक  दिन  हम !
तब  धर्ती  सँ  अहाँ  हमरा  सदैत  देखैत  रहब !!

हम  तऽ  ई  जनम  में भऽ  नई सकलौं अहाँक !
जनम-जनम  तक  अहाँक  बाट  जोहैत  रहब !!

दिलमें अप्पन कोनो सौतिन के जगह नई देब !
आकाशक  परी बनि हम अहाँ पऽ तकैत रहब !!

अहाँक  दिल  में  रहेबाक  बस  हमर हक़ छैक !
ई हक़ किनको देब तऽ मोती बनि झरैत रहब !!

Post a Comment

0 Comments