गज़ल ~ जान की जान सँ बैईढ कऽ

छवि : सरिता साह
जान की जान सँ बैईढ कऽ मानैत छली
ओ छै निर्दय साच्चो हम नै जानैत छली

ओ पीठ पाछु छुरा घोपै से हमरा की पता
आ हम सदति दुवामे ओकरे माँगैत छली

गैर जाई छलै गोर मे खुट्टी, काँटो जँऽ
दर्द होई ओकरा मुदा हम कानैत छली

हर एक काज मे हाथ बटाबैत छलियै
रोटी ओ पकाबै आँटा हम सानैत छली

जिनगी समर्पित कऽ देने रहियै ओकरे पर
मुदा हमरा ओ एक रत्ती नै गुदानैत छली
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