|| हँसी ||

जखन स्वान्तः सुखक
सिमान नाघि
आनक उपहासक नीमित बनि जाइछ,
ठोर पर अरिपन सन पारल मुसकी
जखन
अहंकारक अट्टहास गढ़ैछ
तखन ओकर हँसब
मात्र हँसब नहि रहि जाइछ
ओकर हँसब चाँगुरमे बदलि जाइछ
जे
आनक मानकेँ
भमोरि लैत अछि

अट्टहासमे
मिसियो नहि रहति छैक
इजोरियाक शीतलता
कोनो फूलक सुन्दरता

हृदयमे बरकति
इर्श्या द्वेशक ज्वालामुखी
ठोर पर
लहकति रहैछ लाल-लाल लाबा सन

असलमे
अपनहि ठहक्काक तरुआरिसँ
ओ कटति रहति अछि
अपनहि नाक
अपनहि हाथे
अपनहि चरित्रक
करति रहति अछि वस्त्र हरण
आ अंतमे
नांगट भेल ठाढ़
ओ - - -
दोहाइ दैत रहि जाइत अछि
अपन लिंग, जाति
जानि ने की, कीक - - -
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