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|| गुरु ||
गज़ल ~ आई कतेक बरख पर चान जगलै !!
गज़ल ~ हम कटहरके कमरी
गज़ल ~ मन रहत कारी तऽ माटि रेबारात
गज़ल ~ आगामें भीड़ देख लोग नुकाइ छै
गज़ल ~ जिनगीमें सगरो अछि काँट भरल रस्ता
|| इ केहन जमाना आबि गेल ||
रचनाकार दिनेश रसया