जीनगीमें की छै, दर्द छै पीड़ा छै ! हँसी की, खुशी की, गरीबकें एहने कथा छै !! जीनगीमें की अप्पन, अपनों अखन बेपता छै ! साँचे कहैत छि हम, गरीबके एहने कथा …
Read moreजे देखलहुँ बढ सान देखलौ । आजुक दिन चौठी चान देखलौ ।। श्रद्धा भाव सँ उपास रहै माए । आँगन बिच पकवान देखलौ ।। वेञ्जन सँ सजल रहै डलिया । तैपर सँ पान मखान …
Read moreनीपल मोनक' अंगनामे कएल भावक' ठाँओ बीच नेहक' अरिपन पर पसारि' सिनेह व्यंजन ओ लेसि' श्रद्धा दीप बैसल छी हम । हँ, बैसल छी ओकरे प्रतीक्…
Read moreएलैय मिथिलामें पावनि' चौठीचाँन, घर-घरमें पकतै खिरपुरी पकवान ! भरि डाली चढेतैय फल-फूल, धूपदानीमें जरेतैय सरऽर गूल !! छाँछीसंग कौरनामें दही चढेतैय, …
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