आँखिकऽ पानि जब नोर भऽ गेल !!
केम्हर सँ अतेकभारी भुकंप आ गेल !
देखिकऽ ई नज़ारा सभकऽ साँस रुकि गेल !!
हजारो जीनगी माटि तर् चलि गेल !
हँसैत - खेलैत जीनगीकऽ प्राण निकैल गेल !!
कोनाकऽ रचलकै विधाता एहन अजीब लीला !
जे आकाश छुबैत धरहरा माटिमें मिल गेल !!
सुनिकऽ ई बात हमर करेज कुहैकऽ गेल !
एक कम्पन सँ सुन्दर नेपाल तवाह भऽ गेल !!
लेखक : एस के मैथिल
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई