गज़ल - हँसैत ई हिया कठोर भऽ गेल !!

हँसैत ई हिया कठोर भ गेल !
आँखिक पानि जब नोर भ गेल !!

केम्हर सँ अतेकभारी भुकंप आ गेल !
देखिक  नज़ारा सभक साँस रुकि गेल !!

हजारो जीनगी माटि तर् चलि गेल !
हँसैत - खेलैत जीनगीक प्राण निकैल गेल !!

कोनाक रचलकै विधाता एहन अजीब लीला !
जे आकाश छुबैत धरहरा माटिमें मिल गेल !!

सुनिक  बात हमर करेज कुहैक गेल !
एक कम्पन सँ सुन्दर नेपाल तवाह भ गेल !!

लेखक : एस के मैथिल 
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई