कखनो रूसनाई कखनो मनेनाई हुनकर कखनो हँसनाई कखनो कननाई हुनकर बाँचल जिनगी एहिना बीतल जाई अछि एक मात्र नोर नहि देखल जाईयै हुनकर । महिन ताग सँ गुँथल अछि सम्…
Read moreउगि गेल चौठी के चान खाली हाथ नै देखू कियो हम होई अथवा होई आन ! दही के मट्कुरी लिय या लिय पुरुकिया के पँपथिया सब गोटे कर जोरि करू प्रणाम !! मिथ…
Read moreबुधना के बियाह में बर आफत । आईयो माला पहिरि कऽ काजर केने खाट पर बैसल अछि । कन्हा बियाह में बीस गो आफत बाली बात । लड़की पक्ष बाला किछ सवाल जवाब केलकै । …
Read more__.✍ हरेकृष्णा ठाकुर मधुबनी, बिहार हाल : गौहाटी फट..फट..फटफट..गुइं...गू...गूँ.गूँ...आवाज करईत एक टा फटफटिया लाल काकी के ठीक सामने रूकल वा चलेनाहर के…
Read moreकोन बसात बहलै सब किछु उड़िया लऽ गेलै दैवा हमर जिनगीक खुशी क्षणहि उड़ा लऽ गेलै । बैसल कानि' रहल छी अप्पन दुर्दशा देख रहल छी नेह चिरई के हमरा सँ बेदर…
Read moreहरेकृष्णा ठाकुर मिथिलाञ्चल शायरी के मेम्बर रचनाकार हरेकृष्णा ठाकुर जी के रचना सब स्टेप By स्टेप पढ़ि सकैत छी। आ मिथिलाञ्चल शायरी पर अपने सब मैथिली में र…
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