सुनिते मूंह में आयल पानि' फाँकि के बैसलौंह हम जमैन। भोज हेतै आई टोले में बटत रसगुल्ला डोले में । खेबै हम तs गोटेक सोरे देखल जेतै फेर भोरे-भ…
Read moreभगवान अहाँ अभिमान हमर, हम मूरख छी अहाँ ज्ञान हमर सुनु विनती हमर हे करुणाकर आबहु त ऽ करू कल्याण हमर ।। भगवान अहाँ अभिमान हमर........ क…
Read moreखगल मलहवा खन कोशी, खन कमला केर तीर टहलल फिरैए भोर साँझ ओ पहिरि पंचरंगा चीर ।। घुमा क ऽ फेकए बोझ परिवारक, घिचए उमेदक जाल। रौदी, गरमी, ख…
Read moreभुखल माई केर आँखि में नोर, बेटा खाई तरल परोर। बापक देह पर नै अंगोछ, बेटा के नै तकर संकोच। पेट काटि के पोसलनि जकरा, से माँगै बस हिस्सा, बखरा।…
Read moreगरम परोठा मक्खन वाला, भोरे-भोर अजमाऊ। आ भोजन में दाईल-भात-घी, तीमनक संग में खाउ। तखनहि भेंटत पूर्ण विटामिन, पोषक तत्व अहाँ पायब। दिनभर उड़…
Read moreगाम अप्पन त'अ गामे अछि, सहरक त'अ बस नामे अछि। गामक पोखैर उमकि नहायब, मायक हाथक रोटी खायब सबटा आब अरमाने अछि। गाम अप्पन त'अ गामे अछि.…
Read moreकखन हरब दुःख मोर यौ बाबा कखन हरब दुःख मोर जग सँ थाकि आहिं लग एलऊँ - २ गहल चरण हम तोर यौ बाबा कखन हरब दुःख मोर सबहक आश पुरेलियै यौ बाबा हमरो हरु ने क्ले…
Read moreआएल राखी के त्योहार, संग खुशील'य हजार ! जाएब भैया संग बाजार, किनब समीज सलवार !! थाड़ी आरती के सजाएब, टीका माथा पर लगाएब ! अरिपन अंगना मे बनाएब, ठा…
Read moreनीरज मिश्र "मुन्नू" मिथिलाञ्चल शायरी के मेम्बर रचनाकार नीरज मिश्र "मुन्नू" जी के रचना सब स्टेप By स्टेप पढ़ि सकैत छी। आ मिथिलाञ्चल श…
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