गज़ल - माथ उघारने ऐठ कऽ चलै कनियाँ

माथ उघारने ऐठ कऽ चलै कनियाँ !
हरदम बिखे बोली उगलै कनियाँ !!

लागै लाज सरम सब धो कऽ पी लेने !
भैसुर संग हँसि - हँसिकऽ बोलै कनियाँ !!

भाई - भाई में युद्ध बिखण्डण कराबै !
शुद्ध अमृत में जहर घोलै कनियाँ !!

संस्कार संस्कृति सबटा बिसरल !
सगरो मुह बाजै घोघ डोलै कनियाँ !!

बनि गिरथानि एक नै टेरै ककरो !
प्रगती देख दोसरकऽ जलै कनियाँ !!
सरल वार्णिक बहर
वर्ण : १४
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