हरदम बिखे बोली उगलै कनियाँ !!
लागै लाज सरम सब धो कऽ पी लेने !
भैसुर संग हँसि - हँसिकऽ बोलै कनियाँ !!
भाई - भाई में युद्ध बिखण्डण कराबै !
शुद्ध अमृत में जहर घोलै कनियाँ !!
शुद्ध अमृत में जहर घोलै कनियाँ !!
संस्कार संस्कृति सबटा बिसरल !
सगरो मुह बाजै घोघ डोलै कनियाँ !!
सगरो मुह बाजै घोघ डोलै कनियाँ !!
बनि गिरथानि एक नै टेरै ककरो !
प्रगती देख दोसरकऽ जलै कनियाँ !!
प्रगती देख दोसरकऽ जलै कनियाँ !!
सरल वार्णिक बहर
वर्ण : १४
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