【 कत्ता ~ १० 】



कहुना - कहुना जिनगी जि रहल छी
फाटल करेज प्रेमक धगासँ सिरहल छी
शायद दोख हमरे रहे जान यै, तें
अहाँक देल जहर अमृत समझिक पि रहल छी
                                           __.✍ उदगार यादब 

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