गज़ल ~ बेकार के बात

 छोडू    नेता  जी   आब    ई   बेकार   के   बात
गजब     अछि     अहाँक   सरकार    के   बात

दोसरे   कें   घर  डाहि  जऽ  मनबैत छी उत्सव
तहन    खोजै    छी   किए   संस्कार   के  बात

आब तऽ साहित्यकारो के कलम हकन कनै छै
कतेक  लिखौक  गरीबी  आ बेरोजगार के बात

कुर्सी  पाछा  बेहाल  रहै  छी  घेटा जोडी कऽकऽ
महंगाई  कतेक  छै  कि  बुझब  बजार  के बात

बेर - बेर आन्दोलन  करै  फिसियोके बात लेल
मरैछै  बीचमे  गरिबहा बुझि चमत्कार के बात
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