अप्पन मिथिलाधाम छै
बहुत महान यौ,
स्वर्ग सँ सुन्दर
अप्पन मिथिलाधाम यौ !!
राजा जनक, माँ जानकी
ऋषि मुनि सब,
जन्म लेने छथि
एहि धरती पर यौ !!
मिथैली भाषा आओर
कुर्ता, धोती लाल, अंगोछा
टीक, मिथिलावाशी के छै
पहिचान यौ !!
महाकवि विधापति के
गाम छै मिथिलाधाम यौ,
जहाँ स्वेम भोलेशंकर उगना बनि
विद्यापति के कैलन्हि सगरो काम यौ !!
कतैक सुन्दर छै
अप्पन मिथिलाधाम यौ,
पावन आओर पवित्र
धरती मिथिलाधाम यौ !!
जानकी मन्दिर छै
मिथिला के शान यौ!
सब के सबसँ प्रेम अछि
मिथिलाधाम मे यौ!
मिथिलावाशी करैत छै
पाहुन, अथिति सब के,
बहुत निकसँ
अादर, सत्कार यौ !!
सीताजी के गाम छैक
मिथिलाधाम यौ,
धनुष यज्ञ मे धीर-वीर के
टुटल छनि गुमान यौ!
तोडिते धनुष रामजी बनलैन
सियापति राम यौ,
कतैक सुन्दर आओर महान छै
अप्पन मिथिलाधाम यौ !!
बहुत महान यौ,
स्वर्ग सँ सुन्दर
अप्पन मिथिलाधाम यौ !!
राजा जनक, माँ जानकी
ऋषि मुनि सब,
जन्म लेने छथि
एहि धरती पर यौ !!
मिथैली भाषा आओर
कुर्ता, धोती लाल, अंगोछा
टीक, मिथिलावाशी के छै
पहिचान यौ !!
महाकवि विधापति के
गाम छै मिथिलाधाम यौ,
जहाँ स्वेम भोलेशंकर उगना बनि
विद्यापति के कैलन्हि सगरो काम यौ !!
कतैक सुन्दर छै
अप्पन मिथिलाधाम यौ,
पावन आओर पवित्र
धरती मिथिलाधाम यौ !!
जानकी मन्दिर छै
मिथिला के शान यौ!
सब के सबसँ प्रेम अछि
मिथिलाधाम मे यौ!
मिथिलावाशी करैत छै
पाहुन, अथिति सब के,
बहुत निकसँ
अादर, सत्कार यौ !!
सीताजी के गाम छैक
मिथिलाधाम यौ,
धनुष यज्ञ मे धीर-वीर के
टुटल छनि गुमान यौ!
तोडिते धनुष रामजी बनलैन
सियापति राम यौ,
कतैक सुन्दर आओर महान छै
अप्पन मिथिलाधाम यौ !!
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