हम जिय नऽ पायब अहाँके बिन !
जिनगी के हर एक सपना !
मर हर सपना चकना चूर केलौं !
किया साथ छोड़ी देलौं अहाँ !!
जिनगी के हर एक सपना !
किया हमर तोड़ी देलौं अहाँ !!
मनमें छल एक आश जगल हमरो !
अहाँक बनेतौं अप्पन दुल्हनियाँ !!
मर हर सपना चकना चूर केलौं !
किनका आब हम कहबई धनियाँ !!
मन के हमर उ सब इच्छा !
साथ लकऽ चलि गेलौं अहाँ !!
जादु चलाकऽ हमरा पऽ !
दीवाना किया बनेलौं अहाँ !!
लेखक : सुजीत शाह
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई
लेखक : सुजीत शाह
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई