गज़ल - हम जिय नऽ पायब अहाँके बिन !!

हम जिय न पायब अहाँके बिन !
किया साथ छोड़ी देलौं अहाँ !!

जिनगी के हर एक सपना !
किया हमर तोड़ी देलौं अहाँ !!

मनमें छल एक आश जगल हमरो !
अहाँक बनेतौं अप्पन दुल्हनियाँ !!

मर हर सपना चकना चूर केलौं !
किनका आब हम कहबई धनियाँ !!

मन के हमर उ सब इच्छा !
साथ लक चलि गेलौं अहाँ !!

जादु चलाक हमरा पऽ !
दीवाना किया बनेलौं अहाँ !!

लेखक : सुजीत शाह 
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई