काजू कतरी : है हमरे नाम छथि काजू कतरी और जे कोई भी हमर बिचमें अबैत अछि ओकर निकाएल लैत छियै हम अंतरी ! अई जल्दी सँ अप्पन गहना गुरिया सब ई बैगमें रख नै तऽ …
(अतेक बात सुनिक रमौलवाली काकी के खिस आइब जाइत अछि और अप्पन रमौलगिरी देखबैत अछि और काजू कतरी के एक झापड़ मारैत अछि !)
रमौलवाली : बहुत काजू कतरी, काजू कतरी कैह कऽ तभी सँ कानके जाली हमर फाइड देलक ! रे काजू कतरी तोरा देहमे तऽ एको बुटी मांस नै हउ और अपने आपके बड़का काजू कतरी कहैत छे। चल आब तु सब जतेक सामान सब लगउने छे उ सब अतः रैख कऽ भाग नई तऽ सब काजू कतरी निकैल जेतौ।
काजू कतरी : भाई आजुके जतरे खराब छलैथ, तोरा कहै के चाही नऽ की इ घर रमौलवाली काकी छथि। पहिने सुनैत छलियैया आजु देख लेलियैया, साला गेल छलिय लुटे और लूटा के आगेली।