माँ भगवती
ज्ञानक गठरी खोलि दिय
हे माँ सरस्वती ।।
अहाँक चरण में
झुकबैत छी शीष हे देवी
कृपा करि, दिय आशीष
हे माँ सरस्वती ।।
श्वेताम्बर, हंसवाहिनी,
विणा पुस्तक धारिणी
सातो सुर के देवी कहलबैत छी
हे माँ सरस्वती ।।
अज्ञानी के सदैत ज्ञान दैत छी
एस के अज्ञानी के सेहो,
ज्योत बुद्धि के बारि दिए
हे माँ सरस्वती ।।
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__.✍ एस के मैथिल
स्थान : जनकपुरधाम-१ सिता चौक,
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