|| केहन फूल रोपलौं हम ||

केहन फूल रोपलौं हम ,
नई फूलते धैलक दम !
केहन जनम लेलौं हम ,
नई हँसैत रोबैत छी हम !!

सपना बहुत देखलौं नयन सँ ,
कखनो नई रहलौं जीवन में चयन सँ !
दोष दू जीनगीके की अपने आपके ,
दुःख भोगैत छी कोन जीवनक श्रापके !!

रचल गीत सुर नई ताल भेल ,
जीनगी आई हमर बेहाल भेल !
 जाने केकर लागल नज़र ,
भेलौं हम घर सँ बेघर !!

के बुझत हमर दुःख ,
सब हसैय देखिक मुख !
ई दुनिया के एगो रित अछि ,
हार के बाद हमरो जीत अछि !!
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