स्वार्थबिना दुनिया छै बेकार !!
झुठेके बिया बुनि, झुठेके करे खेती !
दुनिया तऽ छी झुठ - फुस के व्यपार !!
क्षणभरिमें बाज़ी मारिलै, पत्तो नै होय !
जेना चलाक नढ़िया निकलै धारे - धार !!
ऐ कोठी के चाउर, करे ओइ कोठीमें !
रामवरण - प्रचण्डकऽ लीला अपार !!
आहिंरो बा, देखही कोई बिना खेने मरै !
कोई खाईत - खाईत करै ढेकार !!
हिमालिये - पहाड़िये के राज चले सगठे !
कहऽ मधेशी के किए नै भेटै अधिकार !!
रौ के बुझतै बनिकऽ बिच्छु !
जनताके खुन चुसैय जाली सरकार !!
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