खालू यौ मिता मिथिलाकऽ पान !
इ जीनगी नै छै एक समान !!
जे खैलक मिथिलाकऽ पान !
उ गबैत अछि एकर गुणगान !!
जे नै खैलक मिथिलाकऽ पान !
उ रहैत अछि सैदखन परेशान !!
जखन खाबि अहाँ मिथिलाकऽ पान !
तखन खिलत अहाँकऽ लाल मुस्कान !!
चलु आई खुवाइब् हम मिथिलाकऽ पान !
पान खाऽ कऽ बढ़त अपनेक स्वाभिमान !!
लेखक : एस के मैथिल
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई
इ जीनगी नै छै एक समान !!
जे खैलक मिथिलाकऽ पान !
उ गबैत अछि एकर गुणगान !!
जे नै खैलक मिथिलाकऽ पान !
उ रहैत अछि सैदखन परेशान !!
जखन खाबि अहाँ मिथिलाकऽ पान !
तखन खिलत अहाँकऽ लाल मुस्कान !!
चलु आई खुवाइब् हम मिथिलाकऽ पान !
पान खाऽ कऽ बढ़त अपनेक स्वाभिमान !!
लेखक : एस के मैथिल
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई