गज़ल - खालू यौ मिता मिथिलाकऽ पान !!

खालू यौ मिता मिथिलाक पान !
इ जीनगी नै छै एक समान !!

जे खैलक मिथिलाक पान !
उ गबैत अछि एकर गुणगान !!

जे नै खैलक मिथिलाक पान !
उ रहैत अछि सैदखन परेशान !!

जखन खाबि अहाँ मिथिलाक पान !
तखन खिलत अहाँक लाल मुस्कान !!

चलु आई खुवाइब् हम मिथिलाक पान !
पान खा क बढ़त अपनेक स्वाभिमान !!

लेखक : एस के मैथिल
जनकपुर धाम, धनुषा ( नेपाल )
हाल : मुम्बई