गज़ल - महान पर्व रमजान

सालक प्रतिक्षा सभक दूर भेलै निकलैय चान ।
मुस्लिम भायक महान पर्व सुरु भेलैय रमजान ।

भरि मास भुख पियास सहि जपतै हुनके नाम ।
रखने अते विश्वास अल्लाह देतै नीके वरदान 

दुःख सब टा बिसरि ईद दिन चमकतै चेहरा ।
पसरतै बिहुसल ठोर पर ये खुशीकऽ मुस्कान 

सब संग गला मिलतै करतै ईद मुबारक यौ ।
हात मिलाक मित्रता गढ़तै चाहे रहे कोई आन 

माथ पर टोपी लगा देह में रहतै कुरता नायाँ ।
बढौतै शान बनल रहतै मुस्लिमक पहिचान 
सरल वार्णिक बहर आखर : १९
___________________________________________