|| मधेशक' वीर सपुत ||

वर्षो - वर्षतक करैत ऐलीयौ,
पहड़िया शासक के गुलामी !
आब नै करबौ तोहर
शासक के गुलामी !!

मधेशकऽ माटि पऽ पहड़िया ,
प्रशासन खेलैत ऐलै खूनकऽ होली !
आब नै चलतौ पहडिया ,
प्रशासनकऽ गोली !!

तु अपना के कि बुझले ,
हम छी शेर !
तोरा सँ मधेशी कि कम ,
हमहूँ छी सवा शेर !!

जाग - जाग हे मधेशी वीर सपूत ,
मधेशकऽ माटि भऽ गेलो खुनम् खून !
एह्बेर नै तऽ कहियो नै ,
अपन अधिकार लऽक छोर !!
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