जिनगी एक अजीब दास्तान छैक जे जन्म तऽ माँ बाप दैत छथिन मुदा करम अपनेही होयत अछि। जे जेहन काज करैत छैक हुनका ओहि अनुसार जिनगीकऽ फल मिलैत अछि। आ संगे विधाता छठी के रातिमें जे विधना लिख दैत छैक ओकरा कियो नै काटि सकैत अछि, आ उ प्रत्येक प्राणी के भोगही टा परैत अछि। इहे विषय पर आधारित रचनाकार प्रयास प्रेमी मैथिलद्वारा लिखित कहानी :
करम के डोर सँ बान्धल अछि जिनगीकऽ एक कहानी
" जन्म दैत अछि माँ बाप करम तऽ अपनेही "
भाग ~ १
एक राज्यमें एक राजा रहैत छैक। राजा के ४ टा बेटी छथि, दिक्षा, दिव्या, प्रिति आ मेनुका छथि। आ किछ नौकर चाकर सेहो रहैत छैक। राजाकऽ चारु बेटी सब मन जतनसँ अप्पन - अप्पन पढाई लिखाई करैत रहैत अछि। एकदिन चारु बहिन साथमें कॉलेज पढ़ेबाक लेल जाइत छल तऽ बाटमें देखैत अछि के एक लंगड़ा लुल्ला यानी एक अपाहिज़ व्यक्ति भूखसँ तड़पैत बीच बाट पऽ बेहोस नज़र भेटैत छैक।
दिक्षा : ए के छे तू रस्ता पर सँ हटबे की नै, तोरा आउर जगह नै भेटलौ जे बीच रस्ता पर आबि के देह ओगड़ने छी ?
अपाहिज : हे बहिन हम नै चलि सकैत छी। अहाँ चलि सकैत छी तऽ हमरा कात लगाबि दिय, नै तऽ नाघिकऽ चलि जाऊ !
दिक्षा : तऽ हिनका हम जाइत छी छुएबाक लेल ( चपैट कऽ बजैत अछि आ हुनका दिक्षा नाघिकऽ चलि जाइत अछि )
साथे दिव्या आ प्रिति दुनू कोई दिक्षा जका नाघिकऽ चलि जाइत अछि।
मेनुका : हे भगवान ! लगैत अछि बिचारा अपाहिज बहुत दिनसँ दाना - पानिसँ व्याकुल छैक। ( मेनुका अप्पन मनमें सोचि रहल छैक )
मेनका नै किछ पुछि हुनका अप्पन कोरामें उठाबिकऽ एक बृक्ष के लग लऽ जाइत अछि।
अपाहिज : पानि ... पानि ...
मेनुका : मेनुका सोचैत छैक … दीदी सब कॉलेज पुगि गेल होइथिन। अगर आजु हम कॉलेज नै जाइ छी तऽ पिताजी हमरा बहुत बड़का सजा देताह आ अगर कॉलेज जाइ छी तऽ ई अञ्जान बेसहारा कऽ पानि बिनु मृत्यु भऽ सकैत अछि। नै नै एक वयक्ति के जिनगीसँ बढ़ि हमर पढाई नै छैक बरु हम पिताजी के सजाई भोगि लेबै मुदा हिनका हम एहन हालतमें छोड़ि के नै जेबै पढ़ेबाक लेल।
( मेनुका पानि लबैत अछि आ अप्पन टिफ़िनकऽ सबटा खाना हुनका अप्पन हाथसँ खुवाबि दैत अछि। )
( मेनुका पानि लबैत अछि आ अप्पन टिफ़िनकऽ सबटा खाना हुनका अप्पन हाथसँ खुवाबि दैत अछि। )
… तखने मेनका के दीदी सब कॉलेजसँ छुट्टी भऽ कऽ आबि जाइत अछि।
दिक्षा : मेनुका बौवा अहाँ कॉलेज नै गेलौ ? चालू आजु घरे कनीक, हम अहाँक सिकायत पिताजी सँ करैत छी।
मेनुका : दीदी देखुने ई बेसहारा पानिसँ तड़पैत छलैथ तब हम हिनका लेल पानि लेब गेलौं ताहिसँ हमरा कॉलेज जाइमें देर भऽ गेल। आब अहिं कहु दीदी एक आदमी के जानसँ बढ़िके हमर पढाई तऽ नैने छैक… दीदी ?
दिक्षा : आब घरहु चलब की हुनके संगे गठबंधन करेबाक विचार छैक ? आजु घर जाइमें कतेक देरी भऽ गेल से अहाँक पता अछि ? घर जाऽक की जवाब देबै पिताजी के ?
क्रमश :