|| संस्कार अप्पन मिथिला के ||

सुनु - सुनु एक कथा सुनु ,
गौरवमय मिथिलाकऽ गाथा सुनु !
नै वेद, नै कुरान के, कथा छैक
अप्पन मिथिलाकऽ संस्कार के !!

गामें - गाम, टोले - टोल ,
घुमिकऽ देखियौ घरे - घर !
सबकोई छैक एत: एक समान ,
अपन होई चाहे हो आन !!

भोरमें सबकियो गवैय पराती ,
साँझकऽ जरवैय दियावाती !
एक दोसरसंग मिलकऽ रहैय ,
धन्य रहल अछि मिथिलावाशी !!

काकी सुनाबे सोहर समदाउन ,
भौजी रखले छैक मंगलकऽ मान !
बहिनिया खेलैय समा - चकेवा ,
भैया लेल मंगैय अमूल्य वरदान !!

माई करै छथिन जितिया एत: ,
बउवा बुच्चीकऽ भेल कल्याण !
बाबूजी दैत छथि ज्ञान एत: ,
बड़ होकऽ बनिहा तु महान !!

भैया अप्पन प्रेम लूटाबिकऽ ,
भाई के सम्झैय अप्पन जान !
भाई ऊपर सदिखन भेल सहारा ,
बढ़बैय् अप्पन मिथिलाकऽ मान !!

एकबेर जरूर आबू मिथिलामें ,
घुमी - झूमी भोरकऽ शितलामें !
गीत सुनाओत चिड़िया चुनमुन ,
मन अहाँक झूमि उठत मिथिलामें !!
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