जिनगीमें सगरो अछि काँट भरल रस्ता,
परवाह कनिको नइ महंग होय आ सस्ता ।।
अप्पन सौँसे देवालमें सियाही पोतल छै,
देख हाल दोसरके ठहक्का माइर हस्ता ।।
देख हाल दोसरके ठहक्का माइर हस्ता ।।
गिरबा दोसरके खाइध खुनब माहिर छै,
कि पता ओकरा आगा जाके अपने खस्ता ।।
कि पता ओकरा आगा जाके अपने खस्ता ।।
बाढीके हिलकोर समैझ हेल गेलै पानिमें,
ढेहमें नइ रुकै पाइर, भभसीमे धस्ता ।।
ढेहमें नइ रुकै पाइर, भभसीमे धस्ता ।।
पिब भेटे माँर नै, घर उपर चार नै
भुजा रोटी छोइर चाही माँछ दारु नस्ता ।।
भुजा रोटी छोइर चाही माँछ दारु नस्ता ।।
सुइन बोली ओकर सबके काटैय बिसपिपडी,
बिना मतलबके बात ओ बेर - बेर घस्ता ।।
बिना मतलबके बात ओ बेर - बेर घस्ता ।।
सुइन तामसँ उठै जोर रसियाके बातपर,
भाउ पता चलतै जखन जालमें ओ फस्ता ।।
भाउ पता चलतै जखन जालमें ओ फस्ता ।।
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