गज़ल ~ गुमान आबो तऽ छोड़ गे ललिया


गुमान आबो तऽ छोड़ गे ललिया
दिल हमर नञि तोड़ गे ललिया॥

साँचल अप्पन तो प्रेमकऽ नाता,
हमरे सङ्गे तु जोड़ गे ललिया॥

सप्पत तोहर आबे नै देबौ हम,
आँखिमे कहियो नोर गे ललिया॥

धुप-आरति देखा' पूजा करबौ,
नितदिन साँझ-भोर गे ललिया॥

कृष्णा सन छै 'विद्यानन्द' कारी,
रधे सनके छे तु गोर गे ललिया॥
____________________________________________