रे भाइ एक दिन हमहुँ अमिर बनबै
अपना जिनगी`के अपने तकदिर बनबै
भल्ही छि हम दुःखक रड जका फेकल
धधकैत आगिमे पिघला कऽ जन्जिर बनबै
असहाए के सहयोग कऽ झोली भरबै
दान कऽ मुरत सँ सजल मन्दिर बनबै
बुन-बुन चुकेबै माएक दूध केर कर्जा
अप्पन सपत तेहने हम वीर बनबै
मनके महलमे सजाक रखबै इ सपना
इतिहास कऽ पन्ना मे ओ तस्बिर बनबै
______________________________________________
__.✍ रमेश प्रसाद यादव
स्थान : सिरसिया - ५, धनुषा (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तर
अपना जिनगी`के अपने तकदिर बनबै
भल्ही छि हम दुःखक रड जका फेकल
धधकैत आगिमे पिघला कऽ जन्जिर बनबै
असहाए के सहयोग कऽ झोली भरबै
दान कऽ मुरत सँ सजल मन्दिर बनबै
बुन-बुन चुकेबै माएक दूध केर कर्जा
अप्पन सपत तेहने हम वीर बनबै
मनके महलमे सजाक रखबै इ सपना
इतिहास कऽ पन्ना मे ओ तस्बिर बनबै
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__.✍ रमेश प्रसाद यादव
स्थान : सिरसिया - ५, धनुषा (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तर
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