|| संशोधनक विनु संविधान की ? ||

घरे घर हाथ जोड़ि मांगौ भोट
मुहमे मिसरी, खप्परमे छै खोंट
पार्टी- प्रचारमे दौ पाॅटी ओभर,
देखही बियर-दारू-मौँस रे !
अखन ने बनल छौ जन-नोकर,
जितते बनतौँ बिगॅ बौँस रे !

रोकिकऽ धर्तीप्रेमक तों धड़कन
बिसरैछे कोनाकऽ दमन-शोषण ?
चारो पहर दाबिकऽ तरबा तर,
अपने चलेतौ खाली धौँस रे !

स्वर संवेदनाक अखनो घनकौ
लोभ-धुनमे तोहर तन फनकौ ?
हुकरैछौँ वीर शहिद शारा पर,
छौ आँखिमे नोरक झौँस रे ?

सभटा छियौ दोगला'क दलाल
मधेश तऽ हाइँए न, बनेतौ नेपाल ?
बनि पड़बा शान्ति आन घर,
कतेक बनैत रहबे बनभौँस रे ?

संशोधनक विनु संविधान की ?
निर्वाचन ई नाटक समान की ?
कोठली बहार ठोक न मोहर,
जोश देखाकऽ करही जॅश रे !
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