गज़ल ~ हम तऽ मरि गेली

रोवके दिन अछि, तैयो नोर बचाक रखने छी !
धोका भेल जतेक, सब टा सजाक रखने छी !!

आब बितल याद कैयो कऽ, हम कि कऽ सकैत छी !
बस अपना मनमे एकटा घाउ जगाक रखने छी !!

एकहि सँ अपना बनि धोका खैलौँ एह दुनियाँं मे !
मुदा आब हम अपना मनके बुझाक रखने छी !!

हम तऽ अपन जान लुटा देने रहि खास ओकरे पऽ !
मुदा आब हम अपना दिल के नुकाक रखने छी !!

हम तऽ मरि गेली ओहिदिन, जे अपनो नहि रहल !
आब ओहि शरीर के केहुना जियाक रखने छी !!
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__.✍ दिनेश कुमार राम 
सुगा मधुकरही - ६ धनुषा,
हाल : दोहा कतार