|| झूठा प्रेम अहाँक ||


झूठा प्रेम अछि
अहाँक....
बाहर सँ झूठा
मुस्कान अछि
अहाँक....
भीतरसँ तिरिया
चरित्र अछि
अहाँक....
हम तऽ एक पागल
प्रेमी छली !
डूबल रहैत छली प्रेममें
अहाँक....
उ प्रेमक कदर कहाँ
जँ हमरा अकेले
मौत के घाट पऽ
छोड़ि भगली
अहाँ....
नजाने अहाँक मनमें
की छुपल छल ?
हम त एक इन्शान
नई, भगवान जे
उ सच्चा प्रेम
सीना चिर देखैतौ
अहाँक....
___________________________________________

__.✍ एस के मैथिल 
स्थान : जनकपुरधाम-१ सिता चौक,



Post a Comment

0 Comments