नै जानि ई जिनगी सिखा गेलै की की
गजलके नाम पर लिखा गेलै की की
पैसा लेल बेचलहुँ हम श्रम आ पसिना
कि पता आरो बिका गेलै की की
लूटल जवानी प्रवासमे जग शोर छै
नै जानि आरो लुटा गेलै की की
सोचने रही आजु पिअब सिगनेचर
टेनसनेमे नै जानि पिआ गेलै की की
मीठ रहै जीवन से खट्टा अचार भेलै
नै जानि समय ई मिला गेलै की की
गजलके नाम पर लिखा गेलै की की
पैसा लेल बेचलहुँ हम श्रम आ पसिना
कि पता आरो बिका गेलै की की
लूटल जवानी प्रवासमे जग शोर छै
नै जानि आरो लुटा गेलै की की
सोचने रही आजु पिअब सिगनेचर
टेनसनेमे नै जानि पिआ गेलै की की
मीठ रहै जीवन से खट्टा अचार भेलै
नै जानि समय ई मिला गेलै की की
0 Comments