छवि : सरिता साह |
ओ छै निर्दय साच्चो हम नै जानैत छली
ओ पीठ पाछु छुरा घोपै से हमरा की पता
आ हम सदति दुवामे ओकरे माँगैत छली
गैर जाई छलै गोर मे खुट्टी, काँटो जँऽ
दर्द होई ओकरा मुदा हम कानैत छली
हर एक काज मे हाथ बटाबैत छलियै
रोटी ओ पकाबै आँटा हम सानैत छली
जिनगी समर्पित कऽ देने रहियै ओकरे पर
मुदा हमरा ओ एक रत्ती नै गुदानैत छली
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