भाग ~ २
राजा : बेटी दिक्षा ! अहाँ सबके कॉलेजसँ आबैमें किया देर भऽ गेल बउवा ?
दिक्षा : नै पिताजी नै किछ, बाटमें संगी लोकेन सब सँ बतियाई लगलौं ताहि चलते आबैमें देर भ गेल। ( दिक्षा बात छुपाक कहैत अछि। )
राजा : अच्छा कोई बात नै, बेटी अहाँ सब चारु बहिन आब सियान भ गेलौं। हम अहाँ सब सँ किछ सवाल कऽ रहल छी। अहाँ चारु बहिन सोचिक जवाब देब।
दिक्षा : जी पिताजी हम सब जरूर सही जवाब देबैन।
राजा : दिक्षा ! अहाँ कहु तऽ केकरा सिरे पललौं, केकरा सिरे पढ़लौं आ केकरा सिरे कहल मानैत छी ?
दिक्षा : पिताजी हम तऽ अहिंक सिरे पललौं, अहिंक सिरे पढ़लौं आ अहिंक सिरे कहल मानैत छी।
राजा : अहाँ दिव्या ?
दिव्या : पिताजी हम तऽ अहिंक सिरे पललौं, अहिंक सिरे पढ़लौं आ अहिंक सिरे हमहुँ कहल मानैत छी।
राजा : अहाँ प्रिति ?
प्रिति : पिताजी हम तऽ अहिंक सिरे पललौं, अहिंक सिरे पढ़लौं आ अहिंक सिरे हमहुँ कहल मानैत छी।
राजा : अहाँ कहु मनुका ?
मेनुका : पिताजी जन्म तऽ जरूर माँ बाप दैत छथिन मुदा करम अपनेही होइत छैक आ जे जेहन करम करैत छथि ओकरा व्याह अनुसार फल मिलैत अछि।
( राजा क्रोधमें आबि जाइत अछि आ मंत्रीसँ कहैत अछि। )
राजा : मंत्री ! मंत्री ....
मंत्री : जी ! जी सरकार ....
राजा : मंत्रीजी अपने तुरन्त जाउ तऽ जेहने मिलैय तेहने लड़का खोजि के लाबू चाहे ओ लंगड़ा होय या लुल्हा अपाहिज तुरन्त हिनका बियाह करि ई राजसँ बिदाई करू।
( मंत्री जाइ छैक आ व्हे गाछ तरमें जे अपाहिज छेल्हा, हुनके उठाबि लबैत अछि। )
मंत्री : लिय ! लड़का लाबि देलौं सरकार।
राजा : बहुत सुन्दर ! आब देखू करम तऽ अपनेही ? जल्दीसँ एकरा बियाह कराबि बिदा करू।
( मेनुका के बियाह व्याह अपाहिज व्यक्ति के संग करि राइतो राति घरसँ निकालि दैत अछि। मेनुका अप्पन पति के जहियो ने सकैय तहियो काँधमें लऽक रोबैत - रोबैत घरसँ निकैल चलि जाइत छथिन। किछ दूर गेलाकऽ बाद एक मसहूर गाछ नज़र अबैत अछि। )
मेनुका : चलैत - चलैत परि थाकि गेल। जाई छी आ राति भर अहि गाछ के निचा में विश्राम करब आ बिहान होइते रास्ता देख्बैन।
( मेनुका अप्पन पति के गाछ तरमें सुताबिकऽ रोवैत - रोवैत अपनहुँ सुति जाइत छैक व्याह बीचमें आकाशवाणी आवाज़ अबैत अछि। )
आकाशवाणी : बेटी तू नै कान् ! हम तोरा ई दुःखसँ बेरापर होयबाक उपाय बतबै छियौ। ध्यान सँ सुन : एतसँ किछ दूर पूर्व एक माँ दुर्गा के मन्दिर भेटतौ, तू माँ दुर्गा के अप्पन भक्ति पूजापाठसँ प्रसन्न करि, माँ दुर्गा तोहर भक्तिसँ प्रसन्न भऽक तोहर पति के दुःख हरि लेतौ।
नारायण ! नारायण !! नारायण !!
क्रमश :