|| मिथिलानी ||

अहाँ छी चनचल गुड़िया मिथिलाके ,
मिथलानी हवे अहाँक नाम !
बढ़ैबहो सगरो जगमें माई-बाबूके मान ,
मिथिलाके धिया सिताके सामान !!

देखिक' आहाँक एहन स्वरुप ,
तरसैए गगनके चानक' नुर !
हरियर कनचन अछि अहाँक रूप ,
जेहन हरियर सजल छै काश्मीर !!

बाबुके अप्पन दुलरैतिन बनि ,
लिय माईसँ अपना गुण !
भैयाके अपन जान बनि ,
निभा दिय मिथिलाके सब रित !!

दिनके दुपहरियामें उगल भोरक' किरण ,
फुल जेहन फुलैत रहु अहाँ नितदिन !
रूप आहाँक लगैए सोना चानी ,
हाय रे - हाय रे बौवा मिथिलानी !!

आँखि लगैए हिरणके जेहन ,
गजब सजल या ठोरहमें लाली !
माथ पर बिन्दिया हाथमें चुड़ी ,
बड निक लगैए हमरा मिथिलानी !!
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