गज़ल - भेल छै अन्याय

भेल छै अन्याय सब बेस जानि रहल छै ,
हक़ अधिकारला मधेश कानि रहल छै !!

जेकरे घर, ओहे भेल छै घर सँ बंचित ,
खस सासक छातीमें गोली तानि रहल छै !!

जेकरे कर सँ चलि रहल लंगडा देश ,
सरकारो हुनके विदेशी मानि रहल छै !!

केकरो पक्ष केकरो बिपक्षमें न्याय कऽ कऽ ,
अपने सासनमें सबके सानि रहल छै !!

बिनु पावनि-तिहार किओ दिवाली मनाबै ,
किओ नाहकमें दिन-राति धानि रहल छै !!
सरल वार्णिक बहर   
वर्ण : १६
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