|| मिथिलाक' आन महाकवि विद्यापति ||

हम मैथिल छी ,
मिथिलावासी !
पाग हमर ,
स्वाभिमान थिक !!

जगमें मैथिलीकऽ
पहिचान करौलखिन ,
हुनके महाकवि ,
विद्यापति नाम थिक !!

अप्पन भाषा - अप्पन भेष ,
अप्पने गीत - अप्पने नाद !
कण-कणमें बसल ,
मिथिला स्वर्ग समान थिक !!

जन-मन धरि गुंजैय ,
मिथिलाकऽ स्वर्ण गीत !
जखन स्वेम भगवान उगना बनि ,
विद्यापतिसंग जोडलखिन प्रित !!

हर मन मष्तिकमें बसल ,
विद्यापति सभकऽ जान थिक !
उगना बनि पसरि गेलाह् ,
अप्पन मिथिलाकऽ आन थिक !!