जन्म दैत अछि माँ बाप करम तऽ अपनेही, भाग ~ ३

करम के डोर सँ बान्धल अछि जिनगीक एक कहानी 

" जन्म दैत अछि माँ बाप करम तऽ अपनेही "

भाग - ३


( बिहाने होइबते मेनुका अप्पन पतिके लऽक अप्पन गन्तव्य के तरफ चलि देत छथि। किछ दूर गेलाकऽ बाद आकाशवाणी के अनुसार एक माँ दुर्गा के मन्दिर भेटैत अछि। मेनुका अप्पन पतिके मन्दिर के डेरियाह पर राखि के आकाशवाणीकऽ कहल अनुसार माँ दुर्गा के भक्ति करेमें लागि जाइत छैथि। )   

मेनुका : ~~~ गीत ~~~

बिन्ती सुनु हे मईया हमरो पुकार - २ 
करियौ ने हे मईया हमरो पर बिचार - २ 

सब के हे मईया अहाँ देखैत छी - २ 
हमरा किया हे मईया अहाँ तड़पबैत छी - २ 
आब तऽ हम हे मईया भेलौं लचार ,
करियौ ने हे मईया हमरो पर बिचार !!

सगरोसँ थाकि मईया अहाँकऽ द्वारमें आइल छी - २ 
ई बिपत के घरीमें हे मईया अहाँ कतऽ गेल छी - २ 
अहाँ बिनु दोसर हे मईया नै कोनो आधार ,
करियौ ने हे मईया हमरो पर बिचार !!

अहिंकऽ चरणमें हे मईया अछि जिनगी हमर - २ 
अहिं एक माई हमर नै आउर कोई माई दोसर - २ 
अहाँ नै करबै हे मईया तऽ के करतै दुलार ,
करियौ ने हे मईया हमरो पर बिचार !! 

बिन्ती सुनु हे मईया हमरो पुकार - २ 
करियौ ने हे मईया हमरो पर बिचार - २ 

( मेनुका के पति देवी माँ के कृपासँ चले - बुले लगैत अछि। मेनुका अप्पन पति के चलैत बुलैत देखिकऽ मनमें बहुत खुशी होइत अछि आ अप्पन पति के माँ दुर्गा के प्रणाम कराब लऽ जाइत अछि। )

मेनुका : चलु माँ के प्रणाम करी। 

पति : अहाँके छी ? आ हमरा एम्हर के लौलक ?

मेनुका : देखू अहाँ हमर पति छी आ हम अहाँके पत्नी, हमर पिताजी अहाँकऽ संग हमर बियाह कऽ देने अछि आ हमरा अहाँक सदा - सदा के लेल हमर पिताजी अप्पन राज्यसँ निकला कऽ देने अछि। आब हमरा लेल जिय के सहारा एकहिटा अहिं छी। याहसँ जतेक जल्दी होयत अछि ततेक जल्दी ई राज्यसँ दोसर राज्य चलु। केनहायतो के अप्पन जिनगी सुख - दुःख काटैत दिन गुजैर् करब।

पति : अच्छा ठीक छैक। हम अहाँके की कैह् कऽ बजाउ ?

मेनुका : देखू अहाँ प्रिय कैह् कऽ बजाउ। 

पति : हेतै !

( ओइठाँ सँ दुनू व्यक्ति चलि दैत अछि। किछु दूर गेलाकऽ बाद रस्तामें एक नदी अबैत अछि। नदी के नजदीक पहुँचैत अछि तऽ देखैत छैक एकदम सँ नदी लाल भाँसैत रहैत छैक। मेनुका सोचैत छैक यदि हम ई लाल लैत छी तऽ हौ ने हौ ई काल भऽ सकैत अछि ! ताहि बीचमें हुनकर पति एक हाथमें धरि लैत अछि। आ मेनुका देखिकऽ हुनका कहैत अछि। )

मेनुका : देखू स्वामी अपने ई लके की करब ? याह सँ नीक अइ के फेक दियौ। ( मेनुका के पति लाल छैक की किछ आउर छैक से नै चिन्हैत छैक। )

पति : लिय प्रिय ! अहाँ कहैत छी तऽ हम फेक दैत छी।

( ओइ जगह सँ दुनू प्राणी बतियाइत आगू बढ़ैत अछि मुदा मेनुका के पति के मनमें ओइ लाल पर सँ मन हटि जाइत अछि। किछ दूर गेलाकऽ बाद उ अप्पन पत्नी मेनुका के कहैत अछि ! )

पति : प्रिय देखू नऽ हमरा बड जोर सँ लहुसंका लागि गेल, अहाँ अईठाँ रूकू हम लहुसंका करि कऽ अबैत छी। 

मेनुका : हेतै जाऊ जल्दी सँ आइब !

( मेनुकाकऽ पति जाइ छैथ। उ लहुसंका की करत, ओकरा तऽ उ लाल लेबाक छल। जल्दीसँ एक गोट लाल लऽक अप्पन प्यान्टमें लुकाबि लैत अछि आ फिरसँ वापस आबि जाइत अछि। )

पति : लिय प्रिय आबि गेलौं ! चलु आब !!

मेनुका : चलि एलौं ?

पति : हँ चलि एलौं। 

मेनुका : लिय तऽ आब चलू !

( चलैत - चलैत दुनू व्यक्ति दूसरा राज्य के नजदीक पहुँचैत अछि। मेनुका सोचैत छथि आब हम दोसर के राज्यमें पहुँच गेलौं मुदा हम सब रहब कतऽ ? एक गाछ तर बैठ के विचार करैत छथि। )

पति : हम सब ई अन्जान गाउँमें जा रहल छी मुदा हम सब रहब कहाँ प्रिय ? हमरा किछ नै फुराइय !

मेनुका : देखू स्वामीनाथ भगवान के घरमें देर होइत अछि मुदा अंधेर नै होइत अछि। किछ नै किछ उपाय जरूर भेट जाइत। 

( ताहि क्षणमें एक बुढ़िया माँ अबैत छथि। )

बुढ़िया माँ : बेटी ! अहाँ के छी आ अहाँक घर कहाँ छैक ?

मेनुका : देखू माँ ! हम सब के कोई नै छैक, हम सब बेघर बेसहारा छी, माँ जी। 

बुढ़िया  माँ : देखू बेटी ! अहाँ हमरा माँ कहलौँ आ कैह् रहल छी की हमरा सब के कोई नै छैक चलू आई सँ अहाँ सब हमरे लग रहब, हमरा कोई अप्पन सन्तान नै अछि मुदा अहाँक देखिकऽ आई भगवान हमर आस पूरा कऽ देलखिन बेटा बेटी के आस पूरा कऽ देलखिन। 
" भगवान के माया कतौ धुप तऽ कतौ छायाँ "   

( ओइ ठामसँ मेनुका अप्पन पति के संग बुढ़िया माँ के घर जाइत छैक। )
क्रमश :