गज़ल ~ हे मिथिलावाशी


हे मिथिलावाशी अपन पहिचान बचालु !
सस्ता महग सब बिकैत अछि, अपन इमान बचालु !!

अमूल्य हिन भाव अछि पैसाके कोनो मोल नय !
नैतिक-अनैतिक एकठाकऽ अपन जान बचालु !!

खोपरी छोट दलान अछि उडतै कतौँ सँऽ लुत्ती !
जरतै टोल परोस सगरो घरमे किछु सम्मान बचालु !!

हम मैथिल मिथिलावाशी किछु ऋण अछि पुर्खा के !
मिली-जुली सब सँग चलि अपन स्वभिमान बचालु !!

गोर लागि कहैय राजदेब डेग-डेग पऽ साथ देब !
गौरवशाली मिथिला हमर मात्रृभुमी के शान बचालु !!
______________________________________