गज़ल ~ चलु गौरी फेरो ओहि मिथिला अंगना

चलु गौरी फेरो ओहि मिथिला अंगना !
बनल रहियै हम ओतइ उगना !!

कैलाशो हमरा आब निक नै लगैया !
मिथिले में रहबै मिल'क दुनु जना !!

जहिए सँ हम एलौ भाँग नइ खेलौ !
छुटिगेल ओतै तहिए भाँगघोटना !!

गबै छै आइयो ओतुका सब गबैया !
सुनबै फेरो सँ बिद्यापति के रचना !!

भक्तिमें सजल छैक सावन महिना !
मिथिला में झुलब संग - संग झुलना !!