गज़ल ~ बिनु अहाँ राति' लग

बिनु अहाँ राति' लगै पहाड़ सन ।
दिन सेहो सगरो लगै अन्हार सन ।।

कतबो दिअ अहाँ भरोसा यौ साजन ।
लगैय हमरा ओ छुछ दुलार सन ।।

घर सँऽ बहराइते सब ताकै एना ।
जेना लागै छै ओ कुनु चुहार सन ।।

अहि सावनमें आबि जाउ यौ साजन ।
हे बैन कऽ अहाँ पुरवा बयार सन ।।

नेहक बगिया के मिल फेर सिचबै ।
जेना बनि कऽ बरखा के फुहार सन ।।
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__.✍ बिजय कुमार झा
देवडीहा, नगराइन धनुषा (नेपाल)