एलैय मिथिलामें पावनि' चौठीचाँन,
घर-घरमें पकतै खिरपुरी पकवान !
भरि डाली चढेतैय फल-फूल,
धूपदानीमें जरेतैय सरऽर गूल !!
छाँछीसंग कौरनामें दही चढेतैय,
लावनक' उपर दिप जरेतैय !
माई चौठीचाँन के हात उठेतैय,
बड्का भैया पैनढार करतैय !!
मांगै माई चौठीचाँन सँ वरदान,
सदा सुखी रहें हमर जहान !
मिथिलामें एहो पावनि अछि महान,
बठि' चौका पऽ भोग लगावैय मरऽर जज़मान !!
एलैय मिथिलामें पावनि' चौठीचाँन,
घर-घरमें पकतै खिरपुरी पकवान !!
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__✍ प्रयास प्रेमी मैथिल
डुमरहा, नेपाल
हाल : मलेसिया