
मजबुरीमे मजदुरिक' जि रहल छी जिनगी
फाटल अछि गरिबी सि रहल छी जिनगी
हम तऽ बस दर्शकेटा छि परिवर्तनकेर अत
घुटै-घुटैक अभाबेटा' पि रहल छी जिनगी
__.✍ अब्दुर रज्जाक राइन

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