|| परदेशी भैया ||

हे परदेशी भैया आब अपनो
नेपालमे घरबार बनाब पडत
पहाडी होय चाहे मधेशी सब
अटबला दरबार बनाब पडत

हे परदेशी भैया मधेशीकऽ
गुलामी देखल नहि जाईए
मधेशी कऽ दु:ख कटबला
धरगर तलबार बनाब पडत

हे परदेशी भैया मधेशीकऽ
भविस्य आब अहाँकऽ हाथ
देशमे सिपकऽ स्टेज बनाकऽ
सबहक रोजगार बनाब पडत

हे परदेशी भैया सिंहदरबारमे
राज करि ओ देश लुटलकऽ
देशद्रोहीकऽ टुक्राटुक्रा काटी
सिंहकऽ आहार बनाब पडत

हे परदेशी भैया जल्दी आबु
छोडि विदेश अप्पन स्वदेश
भेदभावमुक्त मधेश संगही
खुशीकऽ बहार बनाब पडत
_____________________________________




Post a Comment

0 Comments