गज़ल ~ प्रीतम अहाँक प्रीतमे

ठोरहक बंद मुस्की हम, निहारैत गेलौं
प्रीतम अहाँक  प्रीतमे मन, हारैत गेलौं

फटकारले अपन  इ  नयनसँ, अहाँक
अंग अंगकें  मटक सभ, बिचारैत गेलौं

एक - एक नयनक पलक गिनिक, हम
मनक पना  पऽ कलमसँ , उतारैत गेलौ

कोन  देवता बनौलक अहाँक, बनाबट
रुप  देखिते मनक  दिप, पजारैत गेलौ

पजिरिया लेलकै उ रुपक, दुकानमे जौ
हमहुँ   प्रेम  जाल  मनमे,  पसारैत गेलौं
सरल वार्णिक वर्ण-१६
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__.✍ राम सोगारथ यादव