ठोरहक बंद मुस्की हम, निहारैत गेलौं
प्रीतम अहाँक प्रीतमे मन, हारैत गेलौं
फटकारले अपन इ नयनसँ, अहाँक
अंग अंगकें मटक सभ, बिचारैत गेलौं
एक - एक नयनक पलक गिनिक, हम
मनक पना पऽ कलमसँ , उतारैत गेलौ
कोन देवता बनौलक अहाँक, बनाबट
रुप देखिते मनक दिप, पजारैत गेलौ
पजिरिया लेलकै उ रुपक, दुकानमे जौ
हमहुँ प्रेम जाल मनमे, पसारैत गेलौं
सरल वार्णिक वर्ण-१६
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__.✍ राम सोगारथ यादव
प्रीतम अहाँक प्रीतमे मन, हारैत गेलौं
फटकारले अपन इ नयनसँ, अहाँक
अंग अंगकें मटक सभ, बिचारैत गेलौं
एक - एक नयनक पलक गिनिक, हम
मनक पना पऽ कलमसँ , उतारैत गेलौ
कोन देवता बनौलक अहाँक, बनाबट
रुप देखिते मनक दिप, पजारैत गेलौ
पजिरिया लेलकै उ रुपक, दुकानमे जौ
हमहुँ प्रेम जाल मनमे, पसारैत गेलौं
सरल वार्णिक वर्ण-१६
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