आशा के दीप जरत जखन
अन्हार भागि जएबे करतै
दिन बदलतै राति ढलतै
नवका भाेर हाेएबे करतै ।
जा धरि नहिं मंजिल भेटतै
लडैत रहबै मरैत रहबै
कतबाे कांट भरल वाट में
रुकबै नहिं चलिते रहबै ।
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__✍ पूनम झा मैथिल
जनकपुर धाम (नेपाल)
अन्हार भागि जएबे करतै
दिन बदलतै राति ढलतै
नवका भाेर हाेएबे करतै ।
जा धरि नहिं मंजिल भेटतै
लडैत रहबै मरैत रहबै
कतबाे कांट भरल वाट में
रुकबै नहिं चलिते रहबै ।
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__✍ पूनम झा मैथिल
जनकपुर धाम (नेपाल)