गज़ल ~ प्रेमक जाल

पडल  महंग  जे  कनी  हँसि  गेलहुँ  हम
अोकर  प्रेमक  जाल मे फसि  गेलहु हम

छै अोकर  प्रेम  पाकिस्तानी   सुरूङ सन
बिच   बाटेमे जा मिता  धसि  गेलहुँ  हम

मारि  मुस्कि अो नयन मटकौलकै जखन
भऽ मुर्छित अोकर दिलमे बसि गेलहुँ हम

पडलै प्रेमक अछार  बात पुछू  नञि मीत
वृक्ष कलमि  जका हम कलसि गेलहुँ हम

बुझि सकलहुँ नई  दोख इ किनकर रहैक
चढल जवानीक निशा मे बहसि गेलहुँ हम
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__✍ राजदेब राज 
हाल : मलेसिया