|| हे हंसवाहिनी ||

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
फोलू ज्ञानक भंडार
ह'म अज्ञानी शरणमे अयलहुं
शीश झुकओने ठाढ़ ।

श्वेतवस्त्राम्बुज कमलासिनी
वाणी सुधा रसधार
कोकिल कंठ दिय' हे मैया
कर जोड़ि भेल छी ठाढ़ ।

वेदस्वरूपिणी वीणावादिनी
दिय' सद्बुद्धि सुसंस्कार
सदिखन चलि सुपथ पर मैया
होबय सपना साकार ।

लोकमे प्रेमक भाव जगय
जगसँ हटय अशांतिक अन्हार
घर घर मे अबियौ हे मैया
दियौ सुन्नर बेहबार ।
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__.✍ प्रियरंजन झा 
दरभंगा, बिहार 


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