गज़ल ~ यौ मधेशी

आएल अछि मौका नै गुमाउ यौ मधेशी
एहि बेरी अपन ताकत देखाउ यौ मधेशी

नदीकेँ पानि जेहेन बहैलक सोनीत  भाईके
एहि बेरी दुश्मन के मजा चखाउ यौ मधेशी

की छेल गलती अपने देशमें कहेलौं विदेशी
के छिय अहाँ  एहि बेरी   बताउ  यौ  मधेशी

दारू, माछ, कुछ लताकपड़ा पैसाकेँ लोभमें
अपन जीवनकेँ केकरो गुलाम नई बनाउ यौ  मधेशी

प्रवाससँ "अशोक" अहाँ सभके करैए निहोरा
बैमानके भगाऊँ ईमानदारके जिताउ यौ मधेशी
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