|| शोणित ||

कखनो भाव बनि जाइत छै
भाप सन
आ कि
मनोरथ बनि जाइत छैक
पाथर सन
भारी भरकम
नहि उठैत छैक
ओकर कान्ह पर
शोणित
घाम सेहो बनि जाइत छैक
रब्बी राइकेँ
ऐढ़ैत अप्पन एड़ीसँ

अगहनमे
प्रायः फुलाइत छै
फूल सन
साओन भादवमे
बरसि' जाइत छै
आँखिक पोर दने
जेठक उस्सर खेतमे

सभ साल
रोपनी आ बिया बाउगक
समयमे
कनियाँक सेहेंताक गहना
लागि' जाइत छै बन्हक
एहि आस पर
कि एमकी लवानमे
दाओनक पोर पर
भरोसक मेहक
चारुकात
नचतै एकटा वसंत

अहुबेर
खुजलैए
सरकारी बजटक पेटार
बहार भेलैए
मारिते रास सांठ-उसार
ओकरो लेल
फिकिर केलकैए सरकार
घोषणा भेलैए
एम. एस. पी.क

हरक सिरौरक माझ
ओ ताकि रहल अछि
एम. एस. पी.क अर्थ
खरिहानसँ दोकानक बाट पर
जे बदलि दैक
ओकर मैल धोतीकेँ
नील टिनोपालमे ।
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