|| अप्पन गाम सन होली ||

फागुन मास अाएल यौ मिता,
हमरा अप्पन गाम के होली के याद अाएल यौ मिता !
चारुओर रगं अा अबीर सँ सजल छल होली मे,
अप्पन गाम यौ मिता !!

कतौ नै मिलत अप्पन गाम सन होली के मज्जा यौ,
घर - घर मे पकाबै छल होली मे माउस अा पुरी यौ !
बुढ़बा होइ अा जुवानका होली मे रगं अा अबीर सँ,
भरल छल सभ के हात यौ !!
हमरा बहुत याद अबैय होली मे माँ के हातसँ पकाएल,
माउस अा पुरीक स्वाद यौ !
कतौ नै मिलत माँ के हात सँ पकाएल,
माउस अा पुरी के स्वाद यौ !!

रंग अा अबीर सँ रंगाएल पानि' सँ भिगल देह सँ,
फोड़ैत छलौं गामक साथी संग मटका यौ !
घर - घर मे बरसै छल गामक होली मे रंग अा अबीर यौ ,
गामक होली मे माउस पुरी, बीयर पिके ड़म्फ बजबैत,
गामक साथी संग नचैत गबैत छलौ जोगीरा !!

कतौ नै मिलत अप्पन गाम सन होली के मज्जा यौ,
कोना के भुलब ओ होली जहिया भौजी के,
बहिन होली मे अाएल छल,
भौजी सँ छुपाके हुनका बहिन के लगबैत छलौ रंग अा अबीर यौ !

गामक छोटका - छोटका भाइ बहिन सभ रंग सँ भरल पिचकारी सँ,
गामक भौजी संग खेलै छल होली यौ !
कतौ नै मिलत अप्पन गाम सन होली के मज्जा यौ !!
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